उर्दू-अदब का मारूफ शायर राहत इंदौरी हुआ खामोश।

उर्दू-अदब का मारूफ शायर राहत इंदौरी हुआ खामोश


 


निमाड़ प्रहरी न्यूज़ नेटवर्क डीएनपी  न्यूज़


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भोपाल अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शायर और हिंदी फिल्मों के मशहूर गीतकार राहत इंदौरी का कल शाम हार्ट-अटैक आने की वजह से निधन हो गया। मंगलवार सुबह ही राहत इंदौरी ने ट्वीट कर जानकारी दी थी कि उनके अंदर कोविड-19 कोरोना के लक्षण पाए गए थे इसी के चलते उन्हें सोमवार रात को ही अरविंदो अस्पताल में भर्ती कराया गया था राहत इंदौरी पिछले कई दिनों से कुछ गंभीर बीमारी से ग्रस्त थे। कल शाम 4-30 बजे राहत इंदौरी को हृदयाघात हुआ जिसके बाद डॉक्टरों ने उनको बचाने की बहुत कोशिश की लेकिन कामयाब नही हो पाए और साढ़े चार बजे के करीब राहत इंदौरी ने अपनी ज़िंदगी की आखरी सांस ली और 70 वर्ष की उम्र में हमेशा-हमेशा के लिए ये दुनिया छोड़ मौत के आगोश में समा गए।


 


राहत इंदौरी ऐसे मशहूर और मारूफ शायर थे जो अपनी बात को बड़े आसान तरीके से शेरो में ढालकर सुनाया करते थे जो सुनने वालों को आसानी से समझ मे आ जाती थी। राहत इंदौरी ने उर्दू-शायरी को एक अलग मकाम दिया उर्दू शायरी के लिए उन्होंने जो मेहनत की वो बहुत कम ही शायर कर पाए हैं सच तो ये हैं राहत इंदौरी के जाने के बाद उर्दू शायरी को जो नुकसान हुआ हैं उसकी भरपाई नामुमकिन हैं।


 


राहत इंदौरी शुरू में उर्दू की तालीम हासिल करके एक कॉलेज में प्रोफेसर बने। लेकिन शायरी और मुशायरों की वजह से उन्होंने कॉलेज की नोकरी को छोड़ सिर्फ शायरी पर अपना ध्यान केंद्रित कर दिया। अपनी ज़िंदगी मे सैकड़ो मुशायरों में शिरकत करके अपनी शायरी को अपने खास अंदाज में पेश करके शायरी के दीवानों को दाद देने पर मजबूर कर देते थे और मुशायरा राहत इंदौरी लूट लिया करते थे। इसके अलावा राहत इंदौरी ने हिन्दी फिल्मों के गीत भी लिखे। लेकिन राहत इंदौरी कभी किसी के पास काम मांगने नही गए जो उनके पास आया उन्होंने उनकी फिल्मों के गीत लिखे। यही वजह रही हैं कि राहत इंदौरी को फिल्मों के गीत लिखने में जो मकाम मिलना चाहिए था वो नही मिल सकता या यूं कहें की राहत इंदौरी का फिल्मी दुनिया ने सही इस्तेमाल नही किया। फिर भी राहत इंदौरी ने फिल्मी दुनिया के फ़िल्म मेकरो के लिए उनकी फिल्मों में गीत लेखन किया जिसमें प्रमुख रूप से इश्क़, दरार,याराना,सर,नाराज़,मीनाक्षी, मुन्नाभाई एमबीबीएस,मिशन-कश्मीर,मर्डर,हकीकत,जानम,गली-गली चोर हैं,करीब,बेगमजान,खुद्दार,में तेरा आशिक जैसी फिल्मों के गीत उल्लेखनीय हैं।


 


बहरहाल राहत इंदौरी के यूं अचानक चले जाने से शायरी जगत का जो नुकसान हुआ हैं उसकी पूर्ति करना सम्भव नही हैं राहत इंदौरी के शेरो में हर तरह के रंग मौजूद थे चाहे वो देशभक्ति वतनपरस्ती का रंग हो या आम आदमी के ज़िन्दगी से जुड़ी हुई आवाज़ हो या फिर प्यार में डूबे हुए प्रेमियों के दिलो का हाल हो हर रंग की शेरो-शायरी में राहत इंदौरी को महारत हासिल थी।