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बुरहानपुर इतिहास-मकबर-ए-जुबान
निमाड़ प्रहरी न्यूज़ नेटवर्क
बुरहानपुर 7 अक्टूबर, 2019 - शाहनवाज खाँ का मकबरा-काला ताजमहल मुगल शासन काल में अब्दुल रहीम खाने-ए-खाना के ज्येष्ठ पुत्र इरज की वीरता एवं सैन्य नेतृत्व से प्रसन्न होकर जहाँगीर ने उसे शाहनवाज की उपाधि से नवाजा तथा 5 हजारी मनसबदारों का गौरवशाली पद भी प्रदान किया। 44 साल की उम्र में शाहनवाज खाँ की मृत्यु होने पर जहाँगीर को अत्यंत दुख हुआ। उसकी याद में काले पत्थरों से निर्मित एक मकबरे का निर्माण करवाया गया। जिसका भीतरी भाग ईट व चूने से बना हुआ है। इस मकबरे को लोगा काला ताजमहल भी कहते है। कहा जाता है कि ताजमहल की भांति इसमें भी शाहनवाज खाँ की असली कब्र मकबरे के नीचे तहखाने में है। ताजमहल की तरह ही मकबरे के गुबंद में चार छोटी-छोटी मिनारों का निर्माण किया गया है। इतना ही नहीं ताजमहल में मुमताज के मकबरे पर जिस प्रकार सूर्य उदय और सूर्याअस्त के समय सूर्य किरणें पड़ती है उसी प्रकार इस मकबरे में शाहनवाज खाँ के मकबरे में भी पड़ती है। आज भी इस मकबरे में चित्रकारी में प्रयुक्त किये गये रंग फीके नहीं हुए है।
दौलत खाँ लोदी का मकबरा
दक्षिण भारत पर फतेह के अभियान में दौलत खाँ लोदी ने शाहजहाँ की सहायता की जिससे खुश होकर शाहजहां ने उसे दक्षिण का सूबेदार बनाया। दौलत खाँ की मौत के बाद उसकी याद में एक मकबरे का निर्माण करवाया गया था। इसके अंदर आठ मजारे है। जो दौलत खाँ लोदी और उसके परिजनों की इस मकबरे का शिखर गंुबदाकार है।
दनियाल का मकबरा
अकबर के पुत्र दनियाल मुगल सल्तनत में दक्षिण का पहला सूबेदार बना। दनियाल की शराब पीने की आदत से परेशान होकर अकबर ने उस पर नियंत्रण रखने के लिए अब्दुल रहीम खान-ए-खाना को नियुक्त किया। शराब पीने की आदत के कारण दनियाल असमय मृत्यु का शिकार हो गया। मृत्यु के उपरांत गुरूद्वारा बड़ी संगत के आगे उसे दफनाया गया। इतिहासविद कहते है कि बुरहानपुर में जो तीन खाली कब्रे है। उसमें एक दनियाल की भी है
शहजादे परवेज का मकबरा इतिहासकारों से जानकारी प्राप्त होती है कि बुरहानपुर में शनवारा गेट के आगे ईट व चूने से निर्मित आयताकार मकबरे में जहाँगीर के शहजादे परवेज को दफनाया गया है। कहा जाता है कि ब्रिटिश राजदूत थॉमस रो परवेज के समय ही बुरहानपुर आये थे। उन्होंने अपने एक लेख में लिखा है कि शहजादा परवेज तो नाम मात्र का शासक है। असली सत्ता तो अब्दुल रहीम खान-ए-खाना के हाथों में है। फारूकी बादशाहों का मकबरा बुरहानपुर से करीब 2 किलोमीटर दूर उत्तर दिशा में दो फारूकी शासकों के मकबरे बने हुए है। यह मकबरे काले पत्थरों से बने हुए है। पहला मकबरा जो पश्चिम दिशा में है मीर मोहम्मद शाह द्वितीय का है। दूसरा मकबरा राजा अली खान आदिल शाह फारूकी चतुर्थ का है।
खरबूजा महल-बेगम शाह शुजा का मकबरा
जिले बुरहानपुर में इतवारा गेट के आगे आजाद नगर के पास बेगम शाह शुजा का छोटा सा लेकिन बहुत खूबसूरत मकबरा बना हुआ है। इस पर निर्मित गुंबद कई भागों में विभक्त, फांकों का आकार लिए हुए है। जिससे यह खरबूजें जैसा नजर आता है। यही वजह है कि इसे खरबूजा महल भी कहा जाता है। यह शाहजहाँ के पुत्र शाह शुजा ने अपनी सर्वाधिक प्रिय बिल्किस बेगम के लिए बनवाया था।
साभार जिला जनसंपर्क कार्यालय बुरहानपुर